ख़ुश कैसे रहे।

ख़ुश कैसे रहे?
आज हर इंसान खुशी खोज रहा है।आप इतना भाग दौड़ क्यों करते है ? आप को क्या चाहिए? हर इंसान को क्या चाहिए?
सबके पीछे एक ही वजह है।खुशी 
हम कुछ भी करते है उसके पीछे एक ही कारण होता है।की खुशी मिले।सबको चाहिए पर कितनो को मिल पाती है। खुशी का रेशियो बहुत कम है ।क्यों चाहता तो इंसान ख़ुश रहना पर खुशी क्यों नहीं मिल पाती।
आज इतनी व्यवस्था की गई है। समाज है।धर्म है,विज्ञान है,समाज सेवी संस्था है, सब मिल के एक इंसान को ख़ुश करने में लगे है,पर इंसान क्यों नहीं ख़ुश हो पा रहा है।
इसका कारण क्या है?
इंसान को ख़ुश रहना है तो पहले जड़ को समझना पड़ेगा, दुख का कारण जड़ में है 
कहने का तात्पर्य है कि इंसान खुशी बाहर खोज रहा है।
पर खुशी का खजाना जहा है वहां वह देख नहीं रहा है।
दुख का कारण क्या है?
आप आपने चारो तरफ नजर दौड़ाएं ,आप को लगे गा यहां हर इंसान कितना ख़ुश है।दुखी बस मै हूं,
पर क्या ये सही है।
नहीं आप जब उस इंसान से बात करेंगे। तब पता चलेगा दुखी मै ही नहीं हूं ।सब दुखी है क्यों?
वजह हर इंसान की अलग अलग हो सकती है।
पर सबको चाहिए तो खुशी।
अब आप किसी बच्चे को देखे।वह कितना ख़ुश है।
उसे खाने को मिल जाय।और एक खिलौना बस वह उस के साथ कई घंटो तक खेल सकता है।और ख़ुश रह सकता है।
अगर आप ही देखे आप जब बच्चे थे ।तो क्या आप ख़ुश नहीं थे।
आज वह खुशी कहा चली गई ।वह बच्चा जो एक खिलौने के साथ कई घंटे तक ख़ुश रहता था।आज उसके पास बहुत कुछ होते हुए वह दुखी है क्यों।
कारण एक ही है।एक बच्चा आपने मन के तल पर जीता है।उसके मन में जो आता है वह करता है इस लिए ख़ुश रहता है।
और आप बुध्दि के तल पे आ चुके है।इस लिए दुखी है।
जब बच्चा आपने मन की कर रहा होता है तब आप उसे रोकते है आपनी बुद्धि के द्वारा तब बच्चा दुखी हो के रोने लगता है।
कारण साफ है । जो जितना बुध्दि के तल पे है उतना दुखी है।वह उतना परेशान है।

ख़ुश रहना है तो मूल को सुधारे।
गड़बड़ी आप के मूल में है।और इसकी देन आप के समाज आप के स्कूल की है।आप की खुशी जब लोगो से बरदास नहीं हुई तो लगे पाठ पढ़ाने।और आप के खुशियों को छीन लिया गया।आज आप जिस भी मुकाम पे है । क्या चाहते है उसी मुकाम पे आप का बच्चा भी ही। दुखी परेशान। नहीं आप एशा नहीं चाहेंगे।
पहले आप को आपने मन के साथ रहना होगा।आप को समाज से जो शिक्षा मिली है उसके बारे में सोचना होगा।
समाज तो चाहता है आप भागते रहो क्यों समाज ने यही शिखाया है आगे बढ़ना है तो भागते रहो।पर किस वेश पे। जीवन भर दुखी रहना पड़े नहीं आप येशा नहीं चाहेंगे।    
एक कहानी आप के देखने का नजरिया बदल देगी
एक आदमी रोड पे कुछ बेच रहा था। वह आपना समान रख के चुपचाप बैठा था।तभी एक ज्ञानी सज्जन उधर से गुजर रहे थे। उस दुकानदार को देख के उसके पास गए ।दुकानदार मस्ती में बैठा था।सज्जन ने कहा अरे भाई समान बेच रहे हो।तो कुछ क्यों बोलते नहीं।दुकानदार ने कहा ।बोलने से क्या होगा।सज्जन बड़े दयालु थे ।सज्जन ने कहा इससे तुम्हारी बिक्री बढ़ जाएगी। दुकानदार ने कहा इससे क्या होगा?
सज्जन ने कहा तुम्हारे पास अधिक पैसे आयेंगे।
दुकानदार ने कहा इससे क्या होगा?
सज्जन ने कहा भाई जब तुम्हारे पास अधिक पैसे होगे तो तुम और दुकान खोल सकते हो मकान बना सकते हो। बैंक बैलेंस कर सकते हो गाड़ी घोड़ा के सकते हो नोकर चाकर रख सकते हो।
दुकानदार ने कहा इससे क्या होगा?
सज्जन ने कहा आप खुशी खुशी अपना जीवन बिता सकते हो।
दुकानदार ने कहा जब अंत में खुशी खुशी रहना है तो अभी क्यों नहीं इतना करने की क्या जरूरत है। ख़ुश तो में अभी भी हूं।तो इतना कर के ख़ुश होने का कोई मतलब नहीं है 
सज्जन चुप हो गए और अपने रास्ते चले गए।
कहने का तात्पर्य है कि आप के जीवन में ऐसे बहुत सज्जन आ चुके है। 
सीधी सी बात है अगर सब कुछ खुशी के लिए ही करना है तो अभी क्यों नहीं ख़ुश हो सकते ।
पहले कर लू बाद में ख़ुश रहूंगा।यह समाज की शिखाई गई बातें है ।
ख़ुश रहना है ।तो अभी से।
संसार में जितने भी प्रसिद्ध लोग है । वह अपनी खुशी बेच के प्रसिद्ध नहीं हुए तो आप कैसे सफल हो सकते है। 

पहले ख़ुश हो फिर पाए
आप को जीवन में जिंदा दिली से आगे बढ़ना है ।तो सबसे पहले ख़ुश रहे।
ख़ुश आप तभी हो सकते है जब आप आपने मन की सुने । 
मन के बारे में लोगों ने गलत धारणा बना ली है । जिस वजह से इंसान की दुर्गति हो गई है ।समय रहते मन को समझ लिया जाय तो जीवन में खुशियां ही खुशियां होगी। मन के भी कई प्रकार के अगले पोस्ट में मन के विषय में चर्चा करूंगा।
मोटे तौर पे समझे की खुशी मन में होती है ना कि बुध्दि में।अगर जीवन में ख़ुश रहना है तो मन के साथ चलना होगा।अगर आप मन के साथ नहीं चले तो बुध्दि आप से तांडव करवाएगी।
हमारी शुभकामना आप के साथ है ।
आप को ये पोस्ट कैसी लगी जरूर बताए ।
धन्यवाद।।





टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जंगल का सफर

ब्रह्माण्ड की उत्पति