क्या जिन्दगी में दुख भोगने के लिए आए हो।

हमें जो जीवन मिला है।हम उसके साथ क्या कर रहे है।जीवन में खुशी का नामो निशान तक नहीं नजर आ रहा है।अगर कुछ आ रहा है। तो बस निराशा दर्द ।कब तक येसे जिन्दगी जिएंगे।आपने आप को जबतक आप नहीं जाने गे। तबक दुख दर्द आपका पीछा नहीं छोड़ने बाले।आप कोंन है।क्या है ।कहा से आए है। बचपन में हमारे पास इससे बहुत सवाल थे।पर समय के शाथ हमने अपने आप को तो समझा लिया। पर दुख परेशानियों से पीछा क्येशे छुड़ाएंगे। अब समय है।हमें सही दिशा में काम करने का।बाहरी दुनिया के माया जाल में आप आ चुके है।अब इससे बाहर निकाला मुश्किल हो रहा है।और दुख दर्द बड़ते ही जा रहा है।हमारे समाज में आदि काल से संत महापुरुष हुए।जो इसी तकलीफ का रास्ता निकालते आए है।हमें उससे शिख के आपने जीवन को सफल बनाना होगा।सत्य ही हमारे जीवन को सुंदर  और प्रभावी बना सकता है।बिना सत्य को जाने हम कुछ नहीं है।समाज में लालच कुट कुट के भरा है।लोग लेना जानते है।मगर मिलता किसी को भी नहीं है। कारण देने वाला कोई तो हो।आप से आमिर कोई भी नहीं है।ना हो सकता है।पर आप को आपने आप का ज्ञान ही नहीं है।दुख इसी बात का है। कोई बताने वाला नहीं है।और जो बताया गया वह सब झूठ था। हमारी जिन्दगी झूठ में फाश के रहा गई हा।

मै आप को एक कहानी सुनता हूं। आप को समझ में आ गई।तो आप का कल्याण हो जाएगा।
एक राजा था। बहुत दिनों तक राज किया।पर उसका साथ नशेड़ियों से होगया।वह नशेड़ियों के साथ घूमने लगा नशे करता रहा। धीरे धीरे उसकी हालत खराब हो गई।उसके कपड़े फट गए वह भिखारियों की तरह बर्ताव करने लगा। किसी ने उससे कहा यहां का राजा बड़ा दानी है।अगर सुबह उसके पास जाओगे।तो वह तुम्हें कुछ न कुछ दे देगा। अगले दिन वह राजदरबार में पहुंचा। उसने मंत्री से बोला में राजा से मिलना चाहता हूं। राजा सुबह दान करते है।आप राजा को बुलाइए।मंत्री ने देखा।वह मन में सोचा ये तो राजा है।पर नशे मै आपने को भिखारि समझ रहा है।मंत्री ने कहा में राजा से मिलवा दूंगा।पर आप को एक कटोरी घी पीना पड़ेगा।उसने कहा कोई बात नहीं घी पी लूंगा।अगर राजा मिलते है। तो।मंत्री ने एक कटोरी घी मगाई और उसे पीला दी।थोड़ी देर बाद उसे उल्टी हुई।और उसका नशा उतार गया।जब वह होश में आया तो मंत्री ने कहा क्यों राजा से मिलना है।तब उसने कहा।किसी से मत कहना राजा तो मै ही हूं। मुझे मालूम नहीं था।मै नशे में था।
कहने का मतलब हम इतने नशे में है। हमें कुछ पता ही नहीं चल रहा।और ये नशा सदियों पुराना है। जबतक आप होश में नहीं आएंगे तब तक यही दुर्दशा होगी। आप को  भी घी पीना पड़ेगा।तब जा के आपने मूल स्वभाव को जान पाएंगे।तब आप का कल्याण होगा।




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