संदेश

जंगल का सफर

पाच दोस्त एक बार घूमने का प्लान करते है। पर कुछ समझ नहीं पाते कि वह जाए कहा।  सब के सब सोचते है तभी एक दोस्त कुछ सोच के बोलता क्यों न हम किसी जंगल के सफर का प्लान बनाते है। सब खुश हो जाते है लेकिन तभी एक दोस्त बोलता पर हम लोग करेंगे क्या जंगल में अकेले मस्ती कैसे करेंगे ।  सब सोच के बोलते है कोई बात नहीं हम अकेले कहा है हम लोग आपनी दोस्तों को भी साथ ले चलेंगे। और जम कर मस्ती करेंगे।  शुक्र वार की रात को निकले का समय निर्धारित करते है। एक जगह सब लोग इकट्ठा होते है और सफर पे निकल जाते है। कुल ११ लोग होते है । सुबह होते ही सब लोग जंगल में होते है जंगल एकदम सांत होता है मधुर हवाएं चल रही होती है। मनमोहक खुशबू मन को मोह रही होती है ।सब मिल कर सपना टेंट लगते है और वह थोड़ा विश्राम करते है।  कुछ समय बाद पास में एक नदी बहती है वहा जा के मस्ती करते है।  सब बहोत खुश होते है । तभी कुछ ऐसा होता है कि सब के होश उड़ जाते है । सब सहम जाते है और देखने लगते है एक दोस्त पूछता है हुआ क्या ।तभी देखते है उसके हाथ से खून निकल रहा है ।  वह पूछता है कैसे लगी है चोट ।सब देखते है पूछते है कोन सी चोट क्या बात कर

कला किसे कहते है

कला किसे कहते है?   कला   (आर्ट) शब्द इतना व्यापक है कि विभिन्न विद्वानों की परिभाषाएँ केवल एक विशेष पक्ष को छूकर रह जाती हैं। कला का अर्थ अभी तक निश्चित नहीं हो पाया है, यद्यपि इसकी हजारों परिभाषाएँ की गयी हैं। भारतीय परम्परा के अनुसार कला उन सारी क्रियाओं को कहते हैं जिनमें कौशल अपेक्षित हो। यूरोपीय शास्त्रियों ने भी कला में कौशल को महत्त्वपूर्ण माना है। कला एक प्रकार का कृत्रिम निर्माण है जिसमे शारीरिक और मानसिक कौशलों का प्रयोग होता है। परिभाषा मैथिली शरण गुप्त के शब्दों में, अभिव्यक्ति की कुशल शक्ति ही तो कला है  -- ( साकेत , पंचम सर्ग) दूसरे शब्दों में -: मन के अंतःकरण की सुन्दर प्रस्तुति ही कला है। वर्गीकरण कलाओं के वर्गीकरण में मतैक्य होना सम्भव नहीं है। वर्तमान समय में कला को मानविकी के अन्तर्गत रखा जाता है जिसमें इतिहास, साहित्य, दर्शन और भाषाविज्ञान आदि भी आते हैं। पाश्चात्य जगत में कला के दो भेद किये गये हैं- उपयोगी कलाएँ (Practice Arts) तथा ललित कलाएँ (Fine Arts)। परम्परागत रूप से निम्नलिखित सात को 'कला' कहा जाता है- स्थापत्य कला (Architecture)

समाजवाद

*एक स्थानीय कॉलेज में अर्थशास्त्र के एक प्रोफेसर ने अपने एक बयान में कहा – “उसने पहले कभी किसी छात्र को फेल नहीं किया था, पर हाल ही में उसने एक पूरी की पूरी क्लास को फेल कर दिया है l”* ........ क्योंकि उस क्लास ने दृढ़तापूर्वक यह कहा था कि *“समाजवाद सफल होगा और न कोई गरीब होगा और न कोई धनी होगा”*, क्योंकि उन सब का दृढ़ विश्वास है कि यह सबको समान करने वाला एक महान सिद्धांत है..... तब प्रोफेसर ने कहा– "अच्छा ठीक है ! आओ हम क्लास में समाजवाद के अनुरूप एक प्रयोग करते हैं- सफलता पाने वाले सभी छात्रों के विभिन्न ग्रेड (अंकों) का औसत निकाला जाएगा और सबको वही एक काॅमन ग्रेड दिया जायेगा। ” पहली परीक्षा के बाद..... सभी ग्रेडों का औसत निकाला गया और प्रत्येक छात्र को B ग्रेड प्राप्त हुआl जिन छात्रों ने कठिन परिश्रम किया था वे परेशान हो गए और जिन्होंने कम पढ़ाई की थी वे खुश हुए l दूसरी परीक्षा के लिए कम पढ़ने वाले छात्रों ने पहले से भी और कम पढ़ाई की और जिहोंने कठिन परिश्रम किया था, उन्होंने यह तय किया कि वे भी मुफ़्त का ग्रेड प्राप्त करेंगे और उन्होंने भी कम पढ़ाई की l दूसरी परीक्षा में ......  स

5 मिनट में आप मुझे ऐसा क्या सीखा या बता सकते है जो मेरे लिए उपयोगी हो?

5 मिनट में आप मुझे ऐसा क्या सीखा या बता सकते है जो मेरे लिए उपयोगी हो? एक ऐसा चुटकुला जो चुटकुला नहीं है , ज्ञान है । ---------------------------- एक पर्यटक, ऐसे शहर मे आया जो शहर उधारी में डूबा हुआ था ! पर्यटक ने रु. 500 का नोट होटल और रेस्टोरेंट के काउंटर पर रखा और कहा :- मैं जा रहा हूँ , आपके होटेल के अंदर कमरा पसंद करने!  होटल का मालिक फ़ौरन भागा घी वाले के पास और उसको रु. 500 देकर घी का हिसाब चुकता कर लिया !  घी वाला भागा दूध वाले के पास और जाकर रु. 500 . देकर दूध का हिसाब पूरा करा लिया !  दूध वाला भागा गाय वाले के पास और गाय वाले को रु. 500. देकर दूध का हिसाब पूरा करा दिया ! गाय वाला भागा चारे वाले के पास और चारे के खाते में रु. 500 कटवा आया !   चारे वाला गया उसी होटल पर ! वो वहां कभी कभी उधार में रेस्टोरेंट मे खाना खाता था। रु. 500 देके हिसाब चुकता किया ! पर्यटक वापस आया और यह कहकर अपना रु. 500 का नोट ले गया कि उसे कोई रूम पसंद नहीं आया ! न किसी ने कुछ लिया न किसी ने कुछ दिया सबका हिसाब चुकता ! बताओ गड़बड़ कहाँ है ? कहीं गड़बड़ नहीं है बल्कि यह सभी की गलतफहमी है कि रुपये हमारे है

मन क्या है ? मन की अथाह सामर्थ को कैसे जगाए?

मन क्या है? मन को लेकर आदि काल से बहुत सारे मिथक प्रचलित है।लोगो ने तो मन को ही सारे दुखो का कारण बताए है। इसकी वजह है । लोगो ने इस पर प्रतिबंध लगा रखे है ।  इसके बारे में आगे बात करूंगा ।पहले समझते है मन क्या है ।मन को समझना बहुत जरूरी है। मन आप का बहुत पुराना है  सरीर तो कई आप ने बदले पर आप का मन पुरातन है आदि काल से वही है। मन कुछ और नहीं मात्र विचारो का संग्रह है। अगर विचार न हो तो मन भी नहीं होगा।मन का अस्तित्व विचारो से है। आप अगर खोज करे तो पाएंगे कि मन तबतक है जबतक विचार है ।और विचार हमेशा हमारे पास होते ही है ।विचार कहा से आते है कभी सोचा है  विचार भी इसी ब्रह्माण्ड में निवास करते है। अब सोचने वाली बात है ।विचार हमेशा बदलते है इसकी वजह है सांस जब भी हम सांस लेते है सासो के साथ एक विचार भी आता है। इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता कि विचार कैसे है अच्छे विचार है कि बुरे विचार , अच्छे विचार आनंद प्रदान करते है तो वहीं बुरे विचार दुख देते है । मै दुख सुख के गहराई में न जा कर सीधे मुददे की बात करता हूं । मन विचारो का संग्रह होने के कारण जैसे विचार बदलते है ।इसका असर मन पे पड़ता है क्योंकि

ध्यान क्या है। ध्यान कैसे करे।

ध्यान क्या है ध्यान कैसे करे? ध्यान के बारे में आप लोगो ने सुना ही होगा । बहुत सारे लोगो को समझ नहीं आता ध्यान क्या है लोग कहते है ध्यान से करो ध्यान से पढ़ो । ये लड़का कोई काम ध्यान से नहीं करता आदि। आप लोग हमेशा सुनते होंगे ये शब्द पर आप ने कभी समझने कि कोशिश नहीं की कोन करे बहुत परेशानी है इसमें आप ने छोड़ दिया आप ने कभी जानना चाहा लोग कहते है ध्यान करने के लिए ये क्या है बहुत सारे लोग ध्यान के बारे में नहीं जानते है। कुछ लोग कहते है एक जगह बैठ कर आंख बंद कर के ध्यान करो। पहले आप को समझना पड़ेगा ध्यान क्या है। ध्यान का मतलब है जानना । अभी आप क्या कर रहे हो । जब आप कुछ कर रहे होते हो तो आप के अंदर बहुत सारे विचार आते है पर आप उन्हें नहीं जान पाते। पर जब आप ध्यान में रहोगे तब आप के अंदर छोटे से छोटे विचार को भी जान पाओगे। ध्यान बैठ के ही किया जाय ये जरूरी नहीं है ध्यान आप हमेशा कर सकते हो । आप कुछ भी कर रहे हो आप ध्यान में रह सकते हो बस आप को आपने विचारो को जानना होगा । अगर आप थोड़ा सा सजग रहे तो आप सोते समय भी ध्यान में रह सकते है। आप को ये कई बार अनुभव भी हुआ होगा ।जब आप रात में सपन

ख़ुश कैसे रहे।

ख़ुश कैसे रहे? आज हर इंसान खुशी खोज रहा है।आप इतना भाग दौड़ क्यों करते है ? आप को क्या चाहिए? हर इंसान को क्या चाहिए? सबके पीछे एक ही वजह है।खुशी  हम कुछ भी करते है उसके पीछे एक ही कारण होता है।की खुशी मिले।सबको चाहिए पर कितनो को मिल पाती है। खुशी का रेशियो बहुत कम है ।क्यों चाहता तो इंसान ख़ुश रहना पर खुशी क्यों नहीं मिल पाती। आज इतनी व्यवस्था की गई है। समाज है।धर्म है,विज्ञान है,समाज सेवी संस्था है, सब मिल के एक इंसान को ख़ुश करने में लगे है,पर इंसान क्यों नहीं ख़ुश हो पा रहा है। इसका कारण क्या है? इंसान को ख़ुश रहना है तो पहले जड़ को समझना पड़ेगा, दुख का कारण जड़ में है  कहने का तात्पर्य है कि इंसान खुशी बाहर खोज रहा है। पर खुशी का खजाना जहा है वहां वह देख नहीं रहा है। दुख का कारण क्या है? आप आपने चारो तरफ नजर दौड़ाएं ,आप को लगे गा यहां हर इंसान कितना ख़ुश है।दुखी बस मै हूं, पर क्या ये सही है। नहीं आप जब उस इंसान से बात करेंगे। तब पता चलेगा दुखी मै ही नहीं हूं ।सब दुखी है क्यों? वजह हर इंसान की अलग अलग हो सकती है। पर सबको चाहिए तो खुशी। अब आप किसी बच्चे को देखे।वह कितना ख़ुश है। उसे